2 October Gandhi Jayanti Speech in Hindi : Gandhi Jayanti 2021 Wishes, Speech, Images

2 October Gandhi Jayanti Speech in Hindi : Gandhi Jayanti 2021 Wishes, Speech, Images

Gandhi Jayanti is an event celebrated in India to mark the birth anniversary of Mahatma Gandhi. It is celebrated annually on 2 October, and it is one of the three national holidays of India.

The UN General Assembly announced on 15 June 2007 that it adopted a resolution which declared that 2 October will be celebrated as the International Day of Non-Violence.

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2 October Gandhi Jayanti Speech in Hindi : 600 Words (600 शब्दों में।)

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था एवं माता का नाम पुतलीबाई था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 20 बी सदी के महापुरुषों में अग्रगण्य है।

महात्मा गांधी के पिता राजकोट रियासत से जुड़े थे और वे बहुत अच्छे लोग थे। तथा उनकी माता बहुत सीधी साधी और धार्मिक विचारों की थी तथा वह पूजा-पाठ में बहुत विश्वास रखती थी और वह खास खास मौके पर व्रत भी किया करती थी।

गांधीजी की प्राथमिक शिक्षा की प्राप्ति पोरबंदर की ही स्थानीय पाठशाला में हुई गांधी जी अपने छात्र जीवन में बड़े ही शर्मीले स्वभाव के तथा बहुत ही साधारण छात्र थे ।उनका स्वास्थ्य तो बहुत अच्छा नहीं रहता था तथा उनमे दो अच्छाई भी थी। पहली तो वह अपने माता-पिता के बड़े आज्ञाकारी तथा सेवा करने वाले थे वह अपने माता-पिता की हर बात मानते थे । तथा दूसरा वह हमेशा सच बोलते थे तथा दूसरे लोगों को भी सत्य की राह पर चलने के लिए प्रेरित करते थे इन दोनों श्रेष्ठ गुणों के कारण उन्हें जीवन में आने वाले सारी बुराइयों से बचाया तथा जीवन में काफी आगे भी बढ़ाया।

19 वर्ष की उम्र में उन्होंने एंट्रेंस की परीक्षा पास की इसके बाद भावनगर के श्यामदास कॉलेज में उनका नाम लिखवाया गया उसके बाद करमचंद्र की कुछ मित्रों ने गांधीजी को इंग्लैंड भेजकर कानूनी शिक्षा प्राप्त करने की सलाह दी तथा यह बात करमचंद गांधी को काफी अच्छी लगी उसके बाद गांधी जी ने 1891 में बैरिस्टर बनकर अपने देश लौटे।

सन 1891 में कानूनी शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह मुंबई में वकालत करने लगे पहले हमारा भारत गुलाम था। जिनके कारण देश की गुलामी गांधीजी को अच्छी नहीं लगती थी तभी उन्होंने देश को आजाद करने का संकल्प लिया।

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उनका प्रथम कार्य था अफ्रीका जाना क्योंकि वहां के कुछ भारतीय व्यापारियों ने मुकदमे के सिलसिले में गांधी जी को बुलाया था ।उसके बाद गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गए वहां भारतीय की दुर्दशा को देखकर बड़ी दुखी हुए तथा उन्होंने अफ्रीका में रहने वाले भारतीय लोगों को सुख सुविधा दिलवाने का निश्चय किया दक्षिण अफ्रीका के लोगों को सुख सुविधा दिलवाने के लिए उन्होंने मुकदमे भी लड़े इसमें गांधीजी को सफलता मिली तथा उन्हें इस सफलता के बाद गांधीजी की बराई काफी दूर-दूर तक फैलने लगी।

1901 में गांधी जी जब अफ्रीका से कोलकाता आए तब उन्हें बड़े-बड़े राजनेताओं से उनकी भेंट हुई अंग्रेजों की कुटिल नीति से तंग आकर गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किये क्योकि वे भारतीय लोगों की सेवा करना चाहते थे ।उसके बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व भी किया।

उसके बाद गांधी जी के आदर्शों एवं नेक बिचारो के कारण उन्हें झुकना पड़ा तथा वे हमारा देश छोड़कर चले गये इस प्रकार हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया।

महात्मा गांधी वह व्यक्ति थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजो के खिलाफ अपने पूरे जीवन भर संघर्ष किया उनका लक्ष्य अहिंसा ईमानदार और स्वच्छता के माध्यम से एक नए समाज का निर्माण करना था।

उनके अनुसार समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समान दर्जा और अधिकार मिलना चाहिए भले ही उनका लिंग धर्म रंग या जाति कुछ भी हो।

गांधीजी प्रेम और भाईचारे की भावना से सभी लोगों के दिल में राज करते थे वे देश में रामराज्य स्थापित करना चाहते थे ।भारत के आजादी के बाद हमारा देश दो हिस्सों में बट गया था भारत तथा पाकिस्तान इस बात का उन्हें काफी दुख हुआ।

इस प्रकार गांधी जी ने देश को आजादी दिलवाई देश को आजाद कराने के कुछ महीने बाद ही नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 में गांधी जी को गोली मार दी तथा उनका 

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Quotes By Mahatma Gandhi

• “You must be the change you wish to see in the world.”

Gandhi Jayanti

• “Your beliefs become your thoughts. Your thoughts become your words. Your words become your actions. Your actions become your habits. Your habits become your values. Your values become your destiny.”

• “The Bhagavad-Gita calls on humanity to dedicate body, mind and soul to pure duty and not to become mental voluptuaries at the mercy of random desires and undisciplined impulses.”

• “There is more to life than increasing its speed.”

• “The only devils in this world are those running around in our own hearts, and that is where all our battles should be fought.”

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• “I find a solace in the Bhagavad-Gita that I miss even in the Sermon on the Mount. When disappointment stares me in the face and all alone I see not one ray of light, I go back to the Bhagavad-Gita. I find a verse here and a verse there , and I immediately begin to smile in the midst of overwhelming tragedies — and my life has been full of external tragedies — and if they have left no visible or indelible scar on me, I owe it all to the teaching of Bhagavad-Gita.”

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